लब्धप्रणाश के चौथे एपिसोड में आप देखेंगे कि इस कहानी में भी "हाथ आई वस्तु का हाथ से निकल जाना" कितनी सरलता और सुंदरता से दर्शाया गया है। युधिष्ठिर नामक कुम्हार , पांडव पुत्र युधिष्ठिर की भांति सच बोलता है, किंतु यह उसका सिद्धांत नहीं था। अपना सत्य व्यक्त कर के वो राजा से पाया सम्मान और नौकरी दोनों से ही हाथ धो देता है।