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बंदर और मगरमच्छ की कहानी आगे बढ़ती है। मगरमच्छ को अपनी भूल का आभास हो रहा है। बंदर, उसकी नीयत समझ चुका है। अब मगर कितने भी प्रयास करे, बंदर मानने वाला नहीं।
वो अपनी बात समझाने के लिए गंगादत्त मेंढक की कथा सुनाता है।
वो अपनी बात समझाने के लिए गंगादत्त मेंढक की कथा सुनाता है।